होली के हाइकू
ओढ़े फिरती
वह प्रीत की पगी
काली कँबली
होली के रंग
बरसते हैं संग
करो न भंग
टेसू फूले हैं
बौराया यह मन
आया फागुन
हर रंग का
है अपना अंदाज
भीग लो आज
रंगों का क्रम
बैनीआहपीनाला
क्या कर डाला?
लाल गुलाल
बुरा मत मानो
बनो विशाल
मत मारो बोली
अपराध क्या किया
खेली जो होली
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