सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शनिवार, 13 अप्रैल 2019
(पुस्तक समीक्षा) "कुछ कोलाहल, कुछ सन्नाटा" (समीक्षक : गोपाल शर्मा)
जो कविता है!
- प्रो. गोपाल शर्मा
उत्तर केसरी (राष्ट्रीय हिंदी दैनिक) :
वर्ष 16, अंक : 101, 13 अप्रैल, 2019
कुछ कोलाहल, कुछ सन्नाटा (कविता)
गुर्रमकोंडा नीरजा
2019
नजीबाबाद : परिलेख प्रकाशन
वितरक : हैदराबाद : श्रीसाहिती प्रकाशन
9849986346
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)