सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
रविवार, 19 जुलाई 2009
वार्धक्य
क्षण गर्व का
पुनरागमन है
जीवन का
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें