सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शुक्रवार, 24 जुलाई 2009
स्त्री
अकेलेपन और अधूरेपन से
जूझते - जूझते
भविष्य की कल्पना में
बन गई तू ' थिंक टैंक ' !
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