प्रो. ऋषभ देव शर्मा की सद्यःप्रकाशित समीक्षा पुस्तक 'तेलुगु साहित्य का हिंदी पाठ' का समर्पण वाक्य तेलुगु के शीर्षस्थ समकालीन साहित्यकार प्रो. एन. गोपि को लक्ष्य करके लिखा गया है, जो इस प्रकार है - "समकालीन भारतीय कविता के उन्नायक 'नानीलु' के प्रवर्तक परम आत्मीय अग्रज कवि प्रो. एन. गोपि को सादर"
20 नवंबर 2013 को इस पुसतक की पहली प्रति समर्पित करने जब डॉ. ऋषभ देव शर्मा रात्रि 8 बजे डॉ. एन. गोपि के घर पहुँचे तो पुस्तक का समर्पण वाक्य पढ़कर प्रो. एन. गोपि रोमांचित और गदगद हो उठे. उल्लासपूर्वक उन्होंने अपनी अर्धांगिनी प्रतिष्ठित तेलुगु कवयित्री एन. अरुणा जी को आवाज लगाई और अभ्यागत लेखक को अंगवस्त्र द्वारा सम्मानित करने के लिए कहा.
भावविभोर होकर बार बार प्रो. एन. गोपि कहते रहे - पुस्तक समर्पण और स्वीकार मेरे लिए कोई नई बात नहीं है लेकिन आपने यह पुस्तक मुझे समर्पित करके हिंदी की ओर से तेलुगु का जो सम्मान किया है उसे मैं आजीवन एक सुखद अनुभव की तरह याद रखूँगा.
ऐसे अवसर पर प्रो. ऋषभ देव शर्मा का अवाक् रह जाना सहज ही था!
3 टिप्पणियां:
बढ़िया !
बढ़िया !
मेरे ख़्याल से आपने अपने समय के प्रसिद्ध समकालीन तेलुगु कवि प्रो. एन. गोपि जी के नाम पुस्तक समर्पित कर, एक नयी परंपरा आंरभ कर दी हैं...उसके लिए भी आपको बहुत-बहुत बधाई !
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