शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की स्वीकार्यता के लिए छोटा सा कदम

14 सितंबर पर हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ ! 

पिछले दिनों 11 वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस में संपन्न हुआ। मॉरीशस के संबंध में यह बात ध्यान रखने जैसी है कि आधुनिक मॉरीशस के निर्माण में उन भारतवंशियों का आधारभूत योगदान है जिन्हें अंग्रेज़ शासन के दौरान जबर्दस्ती या झाँसा देकर एग्रीमंट के तहत वहाँ ले जाया गया था। उन मजदूरों ने अपने परिश्रम से उस जनशून्य स्थान को इतनी रौनकों से भर दिया कि आज दुनिया भर के पर्यटक और निवेशक मॉरीशस की ओर दौड़े चले जाते हैं। वे भारतवंशी अपने साथ प्रायः ‘रामचरितमानस’ का गुटका लेकर गए थे। इसी के सहारे उन्होंने अपनी बोली-बानी और संस्कृति को बचाकर रखा। पश्चिमीकरण की दौड़ में शामिल नई पीढ़ी के संदर्भ में पुरानी पीढ़ी वहाँ अब यह भी महसूस करने लगी है कि भाषा और संस्कृति उसकी पकड़ से छूटती जा रही है। इसके लिए मॉरीशस का अपनी जड़ों की तलाश में भारत की ओर देखना स्वाभाविक है। कहा जाता है कि यदि भारत ‘माता’ है तो मॉरीशस ‘पुत्र’ है। इसलिए यदि मॉरीशस में भाषा और संस्कृति की पहचान को लेकर कोई समस्या है तो भारत की ज़िम्मेदारी है कि वह हिंदी और हिंदुस्तान की इस पहचान को वहाँ से फिसलने न दे। 11वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन इसी चिंता से दो-चार रहा। 

11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में चर्चा का केंद्रीय विषय ‘संस्कृति’ रखा गया था क्योंकि भाषा में संस्कृति गुंथी हुई होती है। उद्घाटन सत्र में ही इसीलिए भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्पष्ट किया कि भाषा और बोली जहाँ बची हुई है उसे कैसे बढ़ाया जाए और जहाँ लुप्त हो रही है उसे कैसे बचाया जाए। यह प्रश्न संस्कृति के भी प्रसार और संरक्षण का प्रश्न है। उन्होंने कहा कि गिरमिटिया देशों में लुप्त हो रही हिंदी को बचाने की ज़िम्मेदारी भारत की है। भारत ने यह ज़िम्मेदारी संभाली है। उन्होंने यह भी याद दिलाया है कि सम्मेलन का पहले से ही यह लक्ष्य है कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाया जा सके। उन्होंने बताया है कि इसके लिए आवश्यक सारा खर्च उठाने के लिए भारत तैयार है लेकिन प्रावधान यह है कि यह खर्च समर्थक देशों को मिलकर उठाना पड़ता है। उन्होंने आशा प्रकट की कि जब योग दिवस के लिए भारत 177 देशों का समर्थन हासिल कर सकता है तो फिर संयुक्त राष्ट्र की भाषा के रूप में हिंदी के लिए वह आवश्यक 129 देशों का समर्थन भी प्राप्त कर ही लेगा। 

विदेश मंत्री ने विश्व हिंदी सम्मेलन में यह सूचना साझा की कि संयुक्त राष्ट्र संघ की वेबसाइट पर हर शुक्रवार विश्व हिंदी समाचार प्रसारित करने की शुरूआत की गई है (https://m.soundcloud.com/un-news-hindi/weekly_bulletin)। यह कार्य प्रयोग के रूप में किया जा रहा है। यदि विश्व भर में इस समाचार बुलेटिन को पर्याप्त मात्रा में श्रोता प्राप्त होंगे तो इसे साप्ताहिक के स्थान पर दैनिक भी किया जा सकता है। हिंदी दिवस के अवसर पर हम अपने पाठकों से आग्रह करेंगे कि संयुक्त राष्ट्र के हर शुक्रवार को आने वाले हिंदी समाचार बुलेटिन को स्वयं भी प्रति सप्ताह सुने और अधिक से अधिक लोगों को दुनिया भर में इसे सुनने के लिए प्रेरित करें। यह छोटा सा कदम भी संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की स्वीकार्यता को और अधिक बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। इसी प्रकार आप संयुक्त राष्ट्र के हिंदी ट्विटर एकाउंट @UNinHindi से भी जुड़ सकते हैं।

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