हैदराबाद, 19.2.2021 (मीडिया विज्ञप्ति)।
'तेलुगु साहित्य : एक अंतर्यात्रा' का लोकार्पण |
यहाँ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के खैरताबाद स्थित परिसर में विगत 11 फरवरी को डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा की दो पुस्तकों ‘तेलुगु साहित्य : एक अंतर्यात्रा’ और ‘कुछ कोलाहल, कुछ सन्नाटा’ का लोकार्पण संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता करते हुए सभा के सचिव श्री जी. सेल्वराजन ने कहा कि एक तेलुगुभाषी लेखिका के रूप में डॉ. नीरजा की उपलब्धियों पर सभा गर्व का अनुभव करती है।
दोनों पुस्तकों का लोकार्पण लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति और केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक डॉ. रमेश कुमार पांडेय ने किया। उन्होंने लेखिका को बधाई देते हुए कहा कि हिंदीतरभाषी हिंदी सेवियों ने ही हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाया है। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. नीरजा की ये दोनों पुस्तकें हिंदी और तेलुगु भाषा-समाजों के बीच सेतु को सुदृढ़ करने वाली हैं।
विशेष अतिथि के रूप में पधारे केंद्रीय हिंदी निदेशालय के उपनिदेशक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने यह जानकारी दी कि विमोचित पुस्तकों में सम्मिलित ‘तेलुगु साहित्य : एक अंतर्यात्रा’ के लिए लेखिका को केंद्रीय हिंदी निदेशालय से एक लाख रुपए का ‘हिंदीतरभाषी हिंदी लेखक पुरस्कार’ भी प्राप्त हुआ है। उन्होंने इस पुस्तक में शामिल तेलुगु भाषा और साहित्य विषयक सामग्री को भारतीय साहित्य के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।
'कुछ कोलाहल, कुछ सन्नाटा' का लोकार्पण |
लोकार्पित पुस्तकों की समीक्षा करते हुए प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि ‘कुछ कोलाहल, कुछ सन्नाटा’ में जहाँ कवयित्री की हिंदी में रचित मौलिक कविताएँ शामिल हैं, वहीं उनके द्वारा किया गया हिंदी, तमिल और तेलुगु के कुछ प्रसिद्ध रचनाकारों की कविताओं का अनुवाद भी सम्मिलित है। उन्होंने बताया कि ‘तेलुगु साहित्य : एक अंतर्यात्रा’ में जहाँ तेलुगु भाषा और साहित्य के उदय से लेकर इक्कीसवीं सदी तक के विकास को अलग-अलग निबंधों के माध्यम से दर्शाया गया है, वहीं इसमें सम्मिलित 76 तेलुगु साहित्यकारों का ‘परिचय कोश’ इसकी उपादेयता को और भी बढ़ा देता है।
लेखिका का परिचय देते हुए शिक्षा महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. के. चारुलता ने कहा कि डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा बहुभाषाविद लेखिका हैं और उन्होंने साहित्यिक मासिक पत्रिका ‘स्रवंति’ के सह-संपादक के रूप में साहित्य जगत में अपनी विशेष पहचान बनाई है।
इस अवसर पर दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा और शिक्षा महाविद्यालय, हैदराबाद की ओर से लेखिका का भावभीना अभिनंदन किया गया। 000
- वुल्लि श्रीसाहिती
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