सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शनिवार, 13 जून 2009
डिग्रियाँ
डिग्रियाँ भी तो
बिन पेपरवेट
सब बेकार
1 टिप्पणी:
डॉ. मनोज मिश्र
ने कहा…
सही कहा, वाकई बेकार .
13 जून 2009 को 10:41 pm बजे
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सही कहा, वाकई बेकार .
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