(चित्र : लिपि भारद्वाज)
30 अप्रैल, 2011 को उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद के साहित्य-संस्कृति मंच के तत्वावधान में ‘अज्ञेय जन्मशती समारोह’ संपन्न हुआ। संगोष्ठी की योजना के समय संगोष्ठी निदेशक प्रो.ऋषभदेव शर्मा ने सुझाव दिया था कि अज्ञेय के जीवन और साहित्य से संबंधित पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा सकता है। इस सुझाव को क्रियान्वित करने के लिए सभी प्राध्यापक, एम.ए. छात्र एवं एम.फिल. और पीएच.डी. शोधार्थियों ने मिलकर काम किया जिसका अच्छा परिणाम सामने आया। पूजा, चंद्रभूषण, टी.सुभाषिणी, अंजू कुमारी, मंजू, जे.श्रीनिवास राव, गायकवाड भगवान विश्वनाथ, संध्या रानी, एम.राधाकृष्णा, एस.वंदना, हेमंता बिष्ट, चंदन कुमारी, एन.अप्पल नायडु और दिवेश कुमार आदि ने विभाग के अध्यापकों की देखरेख में पूरे उत्साह से पोस्टर तैयार किए।
पोस्टर प्रदर्शनी में अज्ञेय और उनके कृतित्व के विविध पहलुओं को उजागर करने के उद्देश्य से 64 पोस्टरों के साथ उन पर केंद्रित कुछ शोध प्रबंध और प्रमुख पुस्तकें भी प्रदर्शित की गईं।
पोस्टर प्रदर्शनी का उद्घाटन ‘स्वतंत्र वार्ता’ के संपादक डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने किया। उन्होंने छात्रों और शोधार्थियों की सराहना की और सुझाव दिया कि सभी पोस्टरों की छाया प्रतियों को स्पाइरल बाइंडिंग के रूप में सुरक्षित रखा जाना चाहिए ताकि भविष्य के लिए भी काम आ सके।
प्रो.गोपाल शर्मा ने विभाग को बधाई दी और कहा कि सामूहिक प्रयास ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भविष्य में स्लाइड प्रेजेंटेशन भी किया जा सकता है।
मुंबई से पधारे प्रो.त्रिभुवन राय ने पोस्टरों का आद्यंत अवलोकन किया और कहा कि इसमें विभाग के अध्यापकों और छात्रों की लगन द्रष्टव्य है।
कुल सचिव प्रो.दिलीप सिंह ने इस सफल आयोजन के लिए ‘साहित्य-संस्कृति मंच’ को बधाई दी।
हैदराबाद विश्वविद्यालय से पधारे प्रो.सच्चिदानंद चतुर्वेदी, प्रो.आलोक पांडेय और डॉ.भीम सिंह ने छात्रों के इन्वाल्वमेंट की सराहना की।
कवयित्री ज्योति नारायण, अहिलया मिश्र, रूबी मिश्र और विनीता शर्मा ने कहा कि इन पोस्टरों के माध्यम से अज्ञेय के बारे में काफी नई जानकारी प्राप्त हुई।
क्रांतिकारी कवि शशि नारायण स्वाधीन ने भी पोस्टर प्रदर्शनी की सराहना की और विभाग को बधाई दी।
इफ्लू के रूसी विभाग के प्रो.जे.पी.डिमरी और हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.एम.वेंकटेश्वर तथा मानू के डॉ.करण सिंह ऊटवाल ने भी पोस्टर प्रदर्शनी का अवलोकन किया और भूरि भूरि प्रशंसा की।
डॉ.बी.बालाजी ने कहा कि भाषा शिक्षण के चारों कौशल यानी सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना यहाँ देखने को मिले। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से प्राध्यापकों और विद्यार्थियों का आपसी तालमेल देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ जो प्रायः उच्च शिक्षा संस्थाओं में दुर्लभ होता जा रहा है।
संपत देवी मुरारका, डॉ.अर्चना झा, डॉ.सुपर्णा, डॉ.शक्ति द्विवेदी, डॉ.पी.श्रीनिवास राव, डॉ.घनश्याम, डॉ.सीता नायुडु, भगवंत गौडर, शिवकुमार राजौरिया आदि 200 आगंतुकों ने पोस्टर प्रदर्शनी का अवलोकन किया| दर्शकों ने पोस्टरों की सराहना करते हुए यह सलाह दी कि कम से कम एक सप्ताह तक प्रदर्शनी को जारी रखा जाए।
प्रदर्शनी में विभिन्न पोस्टरों में अज्ञेय के जीवन वृत्त, रचना यात्रा, साहित्य, भाषा और संस्कृति विषयक मान्यताओं, कहानियों और उपन्यासों के अंशों तथा कविताओं को सम्मिलित किया गया। विशेष रूप से सूक्तियों तथा ‘शरणार्थी शृंखला’ की कविताओं के पोस्टरों के समक्ष दर्शक अधिक देर तक रुकते देखे गए।
- जी.नीरजा
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