सोमवार, 9 नवंबर 2015

(विषय सूची) अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की व्यावहारिक परख

कई मित्रों ने जानना चाहा है कि मेरी सद्यःप्रकाशित पुस्तक 'अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की व्यावहारिक परख' (वाणी प्रकाशन, 2015) में किन-किन विषयों पर सामग्री सम्मिलित है. इस संबंध में यद्यपि मेरे ब्लॉग पर जारी किए गए प्रो. दिलीप सिंह, प्रो. देवराज और प्रो. ऋषभदेव शर्मा के वक्तव्यों में पूरी जानकारी दी गई है, तथापि जिज्ञासु मित्रों की सुविधा के लिए यहाँ इस पुस्तक की विषय सूची (अनुक्रम) को यथावत दिया जा रहा है. 
अनुक्रम

अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की व्यावहारिक परख 

गुर्रमकोंडा नीरजा 
2015
वाणी प्रकाशन
मूल्य : रु. 495
ISBN : 978-93-5229-249-3
पृष्ठ 304
खंड 1 : अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान
1. भाषाविज्ञान के आधार
2. आधुनिक भाषाविज्ञान : अनुप्रयोग के क्षेत्र
             (क) भाषा शिक्षण
             (ख) अनुवाद विज्ञान
             (ग) शैलीविज्ञान
             (घ) समाजभाषाविज्ञान

खंड 2 : भाषा शिक्षण
1. शिक्षा में भाषा और भाषा में शिक्षा
2. व्यतिरेकी भाषाविज्ञान के आधार एवं उपयोगिता
3. मातृभाषा एवं द्वितीय भाषा शिक्षण (हिंदी शिक्षण का परिप्रेक्ष्य)
4. हिंदी शिक्षण : तेलुगु मातृभाषा भाषियों के समस्या क्षेत्र
5. अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान के क्षेत्र में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का योगदान

खंड 3 : अनुवाद विमर्श
1. अनुवाद विज्ञान के अध्ययन-अध्यापन की समस्याएँ
2. अनुवाद सिद्धांत और सांस्कृतिक पाठ : शब्द चयन का संदर्भ
3. ‘कुरुक्षेत्र’ का अनुवाद : सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ (अनुवाद समीक्षा)
4. साहित्येतर अनुवाद की समस्याएँ : मनोविज्ञान का संदर्भ
5. बच्चन की अनुवाद विषयक मान्यताएँ

खंड 4 : साहित्य पाठ विमर्श (शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण)
1. पं. प्रताप नारायण मिश्र का निबंध ‘शिवमूर्ति’
2. प्रेमचंद के उपन्यास ‘रंगभूमि’ में स्वतंत्रता के पाठ की भाषा
3. शमशेर की काव्य भाषा : ठेठ और खुरदरा अंदाज
4. अज्ञेय की काव्य भाषा : अस्मिता का आविष्कार 

खंड 5 : प्रयोजनमूलक भाषा 
1. प्रयोजनमूलक हिंदी, प्रिंट मीडिया और दैनिक पत्रों की हिंदी
2. टीवी विज्ञापनों की भाषिक प्रयुक्ति

खंड 6 : समाजभाषिकी 
1. मध्यम पुरुष सर्वनाम : सिद्धांत और अनुप्रयोग
2. नाते-रिश्ते की शब्दावली : अंग्रेजी, हिंदी, तेलुगु और तमिल
3. शिष्टाचार, अभिवादन और संबोधन शब्दावली (रामदरश मिश्र के उपन्यासों का विशेष संदर्भ)
4. दलित आत्मकथाओं का समाजभाषिक संदर्भ
5. स्त्री विमर्श का समाजभाषिक संदर्भ

खंड 7 : भाषा विमर्श में अनुप्रयोग
1. महात्मा गांधी का भाषा विमर्श (संपर्क भाषा की केंद्रीयता)
2. प्रेमचंद का भाषा विमर्श (हिंदी-उर्दू-हिंदुस्तानी : साहित्यिक शैलियों का रचनात्मक समन्वय)
3. अज्ञेय का भाषा विमर्श (साहित्यिक शैली के प्रति जागरूकता)
4. रवींद्रनाथ श्रीवास्तव का भाषा विमर्श (अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान के सजग प्रहरी)
5. विद्यानिवास मिश्र का भाषा विमर्श (आधुनिक भाषाशास्त्रीय चिंतन की पीठिका)
6. दिलीप सिंह का भाषा विमर्श (अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की संपूर्ण पड़ताल)

1 टिप्पणी:

जसवंत लोधी ने कहा…

शुभ लाभ ।Seetamni. blogspot. in