सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शुक्रवार, 25 नवंबर 2016
[ई-पीजी पाठशाला :जी.नीरजा :ई-पाठ 1] लोक साहित्य और लिखित परंपरा का साहित्य
ई-पाठ लेखक :
डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा
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प्राध्यापक, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैरताबाद, हैदराबाद
प्रस्तुतकर्ता :
डॉ. देवराज,
अधिष्ठाता, अनुवाद विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा
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