बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

इच्छा

तेलुगु मूल : कालोजी नारायण राव 
अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा 

मेरी है एक इच्छा 
कि मेरी आवाज तुझे लिखे हुए खत के समान हो 
पढ़नेवालों को कविता लगे 
भावुक को मस्तिष्क के समान लगे
मेधावियों को हृदय-सा लगे
तार्किकों को करुणा उत्पन्न करने वाला लगे 
भोले भालों को खतरे की पहचान सा लगे
दाँत दिखानेवाले ओछे लोगों को गंभीर लगे 
गंभीरता ओढ़ने वालों को मुस्कान पैदा करनेवाला लगे
लुप्त हो रही दोस्ती को संजीवनी लगे 
जलती आँखों को ठंडक पहुँचाने वाला लगे
भटके हुए सांड को गले में बंधा गलगोड्डा-सा लगे 
हवा में फैलने वाली सुरभि-सा लगे 
दूध देने के लिए तैयार स्तनों की तरह लगे
माँ की आँखों की तरह लगे
किसान को रखवाले की तरह दिखे
निस्पृह हृदय को दिलासे की तरह लगे 
जीवन के लिए सहारा लगे
काल को पाश की तरह लगे
रेगिस्तान में नखलिस्तान की तरह लगे 
बर्फ को अंगीठी सा लगे 
राष्ट्र को नीति सा लगे 
शत्रु को भीति सा लगे 
सरहद को रक्षा सा लगे
शिबि के शरीर सा लगे
बलि के त्याग सा लगे
सैनिकों के प्राण सा लगे 
अमरों के हार सा लगे
वेदना के वेद सा लगे
गंगा को जीवन सा लगे 
जीवन को किनारा सा लगे 
पाताल को ऊपर खींचने वाला लगे 
स्वर्ग को भूमि पर उतारने वाला लगे 
धरती को धरती की तरह बनाए रखने वाला लगे 
मनुष्य को मनुष्य बनाने वाला लगे 
मेरी है एक इच्छा 


18.1.67

* मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 123

विडंबना


तेलुगु मूल : कालोजी नारायण राव 
अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा 


रोगों को देख डर रही हैं दवाइयाँ
अपमानजनक है गुंडों के हाथों पुलिस की पिटाई
टिकट चेकर कर रहे हैं सलाम बेटिकटों को
इनविजिलेटर दे रहे हैं प्रश्नपत्रों के समाधान
लिखे हुए उत्तर पर कितने अंक लुटाएँ - पूछ रहे हैं परीक्षक
कंडक्टर को देख डर रहे हैं पैसेंजर
गुंडों को देख डर रही है सरकार,
जनता खरीद रही है दैनंदिन सुरक्षा
स्थानीय बाहुबलियों से

1966

मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 126

एक और महाभारत

तेलुगु मूल : कालोजी नारायण राव 
अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा 

कन्याकुमारी का गृहप्रवेश ही
बुनियाद है कश्मीर की
समुद्र की बाष्प से
आरंभ होता है गंगा का जीवन.

साड़ी के आँचल में आग लगे तो
आपादमस्तक हाहाकार
जूड़े को पकड़कर खींचने से
पाँव अंगारों पर पड़ने की पीड़ा,
अत्याचारी के दृष्टि संकेत पर
शीलवती की आँखों में
शिव के त्रिनेत्र की ज्वाला

सैरंध्री जब जब अपमानित होगी
तब तब कीचक वध निश्चित है
द्रौपदी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने पर
दुर्योधन की जंघा का टूटना निश्चित है
दुःशासन के वक्ष का चिरना निश्चित है

अनेकों बार कीचक का वध होने पर भी
दुःशासन का वक्ष चीरे जाने पर भी
दुर्योधन की जंघा टूटने पर भी
कर्ण का रथचक्र धरती में धँसने पर भी
कृष्ण के दूत बन जाने पर भी
एक और महाभारत निश्चित है

फिर से, फिर फिर से, कीचकों को सुदेष्णा का प्रोत्साहन
दुःशासनों को दुर्योधनों का आदेश
दुर्योधनों की दुराशा और दुरभिमान
कर्णों की प्रतिशोध की भावना
फिर से कृष्णों का दूत कर्म अनिवार्य है
और एक महाभारत निश्चित है.

फिर से, फिर फिर से, भीष्म-द्रोण का मौनव्रत
धृतराष्ट्र के अंधे प्रेम का व्यामोह
शकुनि मामा के पासे का गोरखधंधा
फिर से द्रौपदी का अपमान
फिर से महाभारत.

फिर से, फिर फिर से
सैंधवों को वरदान
आचार्यों का चक्रव्यूह
योद्धाओं का षड्यंत्र
फिर से अभिमन्यु की नृशंस हत्या
फिर से महाभारत

फिर से, फिर फिर से, कश्मीर पर दुराक्रमण
यू.एन.ओ. का समझौता
सीज़ फायर का समझौता
समझौतों का उल्लंघन
भारत के धर्मराजों की सहनशक्ति
माओ त्से तुंग का षड्यंत्र
अयूब दुर्योधन दुराशा दुरभिमान
भुट्टो दुःशासन का दुरावेश
फिर से दुर्योधनों की जंघा का टूटना निश्चित है
दुःशासनों का वक्ष चीरा जाना निश्चित है
फिर से कुरुक्षेत्र निश्चित है
एक और महाभारत निश्चित है.

* मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 117

पराभव निश्चित है

तेलुगु मूल : कालोजी नारायण राव 
अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा 

प्रभुता के मद में
राजनीतिज्ञ झूम रहे हैं
अधिकारी संपत्ति स्वाहा कर
सत्यवान बन घूम रहे हैं
जनहित के जीवन-आदर्श
उनके बोझ तले टूटकर कराह रहे हैं
जनतंत्र का परदा खिसक गया है
निरंकुशता ने फन फैला दिया है,
फिर भी नित्य पूजा चल रही है
नागपंचमी जैसी !
सत्यवान विषपान करके
तत्वों का मंथन कर रहे हैं,
पराभव निश्चित है !
पाप का मद पक गया है
सत्तालोलुप राजनीति बन गई है
मदांध कसरत.
जुड़वाँ पिशाचों के दत्तक
चाल पर चाल चलकर
एक दूसरे को गिरा रहे हैं
लूट के माल के लिए.
काम के भूत की सोहबत;
पराभव निश्चित है !

(1966)

* मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 109