सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
रविवार, 1 नवंबर 2009
एक ही तत्व
हम दोनों एक दूसरे से
ऐसे अलग हुए
जैसे पेड़ से पत्ते
और मेघ से पानी
जब हम मिले
तो यह अहसास हुआ
की हम अलग नहीं हैं
हम एक ही तत्व हैं
जैसे फूल और खुशबू
जैसे सागर और लहरें
जैसे सूरज और किरणें
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