सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शुक्रवार, 17 मई 2013
निःशब्द
उस अनुभूति को अभिव्यक्त करने के लिए
शब्द नहीं हैं
मौन का साम्राज्य है चारों ओर
भीतर तो तुमुलनाद है
भीगी हूँ प्यार में
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