सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शनिवार, 11 मई 2013
प्यार की खातिर
प्यार की खातिर मैं
तुम्हारी हमदर्द बनी
हमराज बनी
बदले में तुमने सरेआम मुझ पर
कीचड़ उछाला
तुम्हारे हर झूठ पर मैंने परदा डाला
बदले में तुमने मेरे सारे चीर हर लिए
तुम्हारे भीतर जीने की आस जगाई मैंने
बदले में तुमने मुझे मौत के मुख में धकेल दिया!!
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