सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शुक्रवार, 17 मई 2013
रेशमी स्पर्श
मेरी देह पर तैरती तुम्हारी उँगलियाँ
मन के तार को छेड़ गईं
एक रेशमी स्पर्श ने जगा दी
रोम रोम में नई उमंग
तुमने जब जब मुझको छुआ
तब तब तन-मन में ऊर्जा का संचार हुआ
......
और मैं पागल हो गई!
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