सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
बुधवार, 22 जनवरी 2014
तुम ... ?
कौन हो तुम?
कौन हूँ मैं?
एक हुए इस अनंत विश्व में
तुम नहीं जानते
कि मेरे लिए तुम क्या हो!
मेरे हृदय की पुकार हो तुम
मन की प्यास बुझाने वाले हो तुम
मुझे मुझसे मिलाने वाले हो तुम
तुम नहीं मिलते तो ...... ?
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