सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शनिवार, 14 अप्रैल 2012
हाइकू
हाइकू
दुःख
चेहरा नम
आंसू का स्रोत कहाँ
दिल में गम
किताब
अलमारी में
किताबों का ढेर है
निद्रा में लीन
गर्भ से
कन्या भ्रूण ने
लगाई है गुहार
मुझे न मार.
अंश हूँ मैं भी
तुम्हारे ही प्यार का
दंश फिर क्यों ?
मत चढ़ाओ
सूली पर बेटी को
जीने दो उसे.
मत छीनो
जीने का अधिकार
मुझे दो प्यार ...
1 टिप्पणी:
सतीश सक्सेना
ने कहा…
कमाल की रचना ....
23 अप्रैल 2012 को 12:17 am बजे
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कमाल की रचना ....
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