सोमवार, 23 अप्रैल 2012

दर्द


मैंने

दर्द को दबाने  की कोशिश की

वह गिद्ध बन

मेरा शिकार करता रहा.


      मैंने 

      उससे छुटकारा पाने के लिए

      स्लीपिंग पिल्स लिए 

      ट्रांक्विलाइज़र लिए

      और न जाने क्या क्या लिए

      पर वह इम्यून हो गया.


मेरे हितैषी

डाक्टर के पास ले गए

उसने

मुझे आपरेशन थियेटर पहुंचाया.

        
            डाक्टरों की जमात ने

            मेरे हृदय को चीरफाड़ डाला

            मेरे हर अंग का इलाज किया

            पर दर्द से मुक्ति नहीं मिली.

            वह मेरा अंतरंग बन गया.


आज
      मैं सोचती हूँ –
       यदि सीने में यह दर्द नहीं होता
      तो मेरा क्या होता!

1 टिप्पणी:

Madan Mohan Saxena ने कहा…

सराहनीय प्रस्तुति.
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