सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
सोमवार, 23 अप्रैल 2012
समस्या
जीवन की पुस्तक में
लिखना चाहें तो क्या लिखें?
कैसे लिखें? कितने अध्याय लिखें?
भिन्न भिन्न विषयों पर
कलम चलानी चाही
सब कुछ समेटना चाहा स्याही से
पर कलम रुक गई
अभिव्यक्ति फंस गई
न ध्वनि मिली न अक्षर
न शब्द बने न वाक्य
एक शून्य फैलता गया
भीतर ही भीतर .
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