अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा
क्या हुआ? मुझे क्या हुआ?
अत्याचार को देशीय समझ
दया की क्या मैंने?
अंग्रेजों का विरोध कर
काले लोगों की सेवा करना
किसलिए? क्या हुआ?
मुझे क्या हुआ?
उस समय के रजाकारों को
मिटाने की तरह मैं
आज के रजाकारों का
‘नायक’ बन आया हूँ
क्यों? क्या हुआ? मुझे क्या हुआ?
हृदय बकरी, चित्त लोमड़ी,
मन भेडिया.
कुत्ते की तरह जी रहा हूँ
क्यों? मुझे क्या हुआ?
इससे भला
कोई और पशु होता
तो अच्छा होता.
(1974 : सत्तालोलुप राजनीति से समझौता करने वाले सवतंत्रता सेनानियों को देख कर दुःख से रचित)
* मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 153
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