इस देश की क्या दशा है
सबके दिमाग को क्या हुआ
प्रजातंत्र का संवैधानिक
प्रशासन क्या यही है ?
एमपी का प्रिविलेज है यह
इंदिरा की नीति और न्याय है यह
सम्माननीय हैं सब
गणपति गुणरहित
खुद मुर्गियों को निगलकर
शिष्यों को अंडों से दूर रख रहे हैं.
पार्टी नेताओं को, जनसाधारण को
एमपी को, एमएलए को
कितना भरोसा कितना भरोसा
इंदिरा पर कितना भरोसा
क्या कहा इंदिरा ने आखिर
अभी तक ‘नार्मल्सी’ नहीं आई
‘नार्मल्सी’ आ गई है
उन्हें तो इस बात पर यकीन ही नहीं है.
उनके विश्वास को जनता में
स्थान मिला ही नहीं
समग्रवादी दुस्साहसी हैं
अपने अपने प्रांतों में जाकर
पाँचसूत्री क्रायक्रम को
फैलाने के लिए समय चाहिए.
प्रतिपक्ष के साथ मिलकर
घोषित किया गया जनमत तो
सबके लिए गलत और जोखिम भरा हुआ ही
होगा न.
अगले चुनाव तक
देश में कुछ भी हो
जीती हुई पार्टी की नेता
जो चाहे, वही होगा.
प्रतिपक्ष का क्या मत है
पार्लियामेंट के पिंजरे में
उसी की हवा है
पार्टी के नेता तो तोते हैं
जो कहा जाता है वही बोलते हैं.
‘गरीबी हटाओ’ का नारा
वोट फँसाने का चारा है
अगले चुनाव तक
झेलना ही पडेगा.
उनके शासन के तीन वर्ष
पूरे होने के दिन तक
प्रतिपक्ष ज़िंदा रहता तो
तब भी रस्साकशी
इसीलिए तो उनकी हर बात
न्याय बन गई, उपचार भी
परिवर्तन, योगदान और रद्द करने का
मंत्र तंत्र भी
कांग्रेसी पार्टीव्रती हैं
अन्य दलों के सदस्य केवल सदस्य
‘एक देश एक दल
एक ही नेता’ है कांग्रेस का नारा.
प्रतिपक्ष के जन-आंदोलन की
योजना को कुचल दिया
भुजबल से, धनबल से
बहुत कुछ को वश में कर लिया.
बांग्लादेश में याहिया खान द्वारा
खुल्लमखुल्ला अपनाए गए
मार्शल लॉ के हथियार को ही
छद्म रूप से प्रयोग किया.
मीठे मीठे नारों के
शहद का लेप लगाया इंदिरा ने;
सूखे और अकाल के लिए तो
जिम्मेदार भगवान है.
करोड़ों लोगों की पुकार को
बना दिया असामाजिक तत्वों का आंदोलन
प्रगति मार्ग का व्यवधान
प्रतिपक्ष का कुचक्र.
मुखिया है विषनाग
जिसके फन में विष है.
भूमिगत दल बन गए
राइट रिएक्शन का षड्यंत्र.
लेफ्ट एडवेंचरिज्म
बुराई का नटखट व्यवहार.
कांग्रेस, सी पी आई
के सिवा और कौन !
हृदय से देश की भलाई
चाहने वाले देशीय और कौन !!
दोनों के आलिंगन बद्ध होने पर
कही गई बात एक है
अपने अपने दल में
शामिल होकर कही जाने वाली बात और एक है.
प्रस्ताव और वार्तालाप
तरीका एक है, बात और एक है
राग, ताल, पल्लवी
का लक्षण एक, रस और एक है.
देश दोगली निष्ठा के लिए है क्या
देश एकनिष्ठता का है
पार्टी के नाम पर दोगली निष्ठा
पालने का व्रत और एक है;
एक देश एक दल
एक नेता एक नारा.
सत्तारूढ़ दल के
हाथों में है देश,
दल की शक्ति
दल की नेता के हाथों में.
नेता का अर्थ है सर्वशक्तिमान
नेता का अर्थ है भगवान
नेता के संकल्प को साकार करने को
तैयार है पूरा दल.
प्रचलन में जो सिक्का है
उसकी ताकत और कीमत की कमी नहीं
सी पी आई और कांग्रेस
सिक्के के दो पहलू हैं.
बाकी सब कुछ हैं बेकार
गिनती में न आने वाले सिक्के.
आज का महाभारत है
कौरव सभा का वर्णन है.
भीष्माचार्य, द्रोण,
शकुनि, दुःशासन,
कर्ण, अश्वत्थामा,
कृपाचार्य और जयद्रथ.
राष्ट्रपति धृतराष्ट्र हैं.
भव्य, बहुत भव्य लोग हैं.
बलवान बहुत बलवान हैं.
गौरव सभा का वर्णन है
यह आज का महाभारत है
इंदिरा दरबार की शान है.
सबके दिमाग को क्या हुआ
प्रजातंत्र का संवैधानिक
प्रशासन क्या यही है ?
एमपी का प्रिविलेज है यह
इंदिरा की नीति और न्याय है यह
सम्माननीय हैं सब
गणपति गुणरहित
खुद मुर्गियों को निगलकर
शिष्यों को अंडों से दूर रख रहे हैं.
पार्टी नेताओं को, जनसाधारण को
एमपी को, एमएलए को
कितना भरोसा कितना भरोसा
इंदिरा पर कितना भरोसा
क्या कहा इंदिरा ने आखिर
अभी तक ‘नार्मल्सी’ नहीं आई
‘नार्मल्सी’ आ गई है
उन्हें तो इस बात पर यकीन ही नहीं है.
उनके विश्वास को जनता में
स्थान मिला ही नहीं
समग्रवादी दुस्साहसी हैं
अपने अपने प्रांतों में जाकर
पाँचसूत्री क्रायक्रम को
फैलाने के लिए समय चाहिए.
प्रतिपक्ष के साथ मिलकर
घोषित किया गया जनमत तो
सबके लिए गलत और जोखिम भरा हुआ ही
होगा न.
अगले चुनाव तक
देश में कुछ भी हो
जीती हुई पार्टी की नेता
जो चाहे, वही होगा.
प्रतिपक्ष का क्या मत है
पार्लियामेंट के पिंजरे में
उसी की हवा है
पार्टी के नेता तो तोते हैं
जो कहा जाता है वही बोलते हैं.
‘गरीबी हटाओ’ का नारा
वोट फँसाने का चारा है
अगले चुनाव तक
झेलना ही पडेगा.
उनके शासन के तीन वर्ष
पूरे होने के दिन तक
प्रतिपक्ष ज़िंदा रहता तो
तब भी रस्साकशी
इसीलिए तो उनकी हर बात
न्याय बन गई, उपचार भी
परिवर्तन, योगदान और रद्द करने का
मंत्र तंत्र भी
कांग्रेसी पार्टीव्रती हैं
अन्य दलों के सदस्य केवल सदस्य
‘एक देश एक दल
एक ही नेता’ है कांग्रेस का नारा.
प्रतिपक्ष के जन-आंदोलन की
योजना को कुचल दिया
भुजबल से, धनबल से
बहुत कुछ को वश में कर लिया.
बांग्लादेश में याहिया खान द्वारा
खुल्लमखुल्ला अपनाए गए
मार्शल लॉ के हथियार को ही
छद्म रूप से प्रयोग किया.
मीठे मीठे नारों के
शहद का लेप लगाया इंदिरा ने;
सूखे और अकाल के लिए तो
जिम्मेदार भगवान है.
करोड़ों लोगों की पुकार को
बना दिया असामाजिक तत्वों का आंदोलन
प्रगति मार्ग का व्यवधान
प्रतिपक्ष का कुचक्र.
मुखिया है विषनाग
जिसके फन में विष है.
भूमिगत दल बन गए
राइट रिएक्शन का षड्यंत्र.
लेफ्ट एडवेंचरिज्म
बुराई का नटखट व्यवहार.
कांग्रेस, सी पी आई
के सिवा और कौन !
हृदय से देश की भलाई
चाहने वाले देशीय और कौन !!
दोनों के आलिंगन बद्ध होने पर
कही गई बात एक है
अपने अपने दल में
शामिल होकर कही जाने वाली बात और एक है.
प्रस्ताव और वार्तालाप
तरीका एक है, बात और एक है
राग, ताल, पल्लवी
का लक्षण एक, रस और एक है.
देश दोगली निष्ठा के लिए है क्या
देश एकनिष्ठता का है
पार्टी के नाम पर दोगली निष्ठा
पालने का व्रत और एक है;
एक देश एक दल
एक नेता एक नारा.
सत्तारूढ़ दल के
हाथों में है देश,
दल की शक्ति
दल की नेता के हाथों में.
नेता का अर्थ है सर्वशक्तिमान
नेता का अर्थ है भगवान
नेता के संकल्प को साकार करने को
तैयार है पूरा दल.
प्रचलन में जो सिक्का है
उसकी ताकत और कीमत की कमी नहीं
सी पी आई और कांग्रेस
सिक्के के दो पहलू हैं.
बाकी सब कुछ हैं बेकार
गिनती में न आने वाले सिक्के.
आज का महाभारत है
कौरव सभा का वर्णन है.
भीष्माचार्य, द्रोण,
शकुनि, दुःशासन,
कर्ण, अश्वत्थामा,
कृपाचार्य और जयद्रथ.
राष्ट्रपति धृतराष्ट्र हैं.
भव्य, बहुत भव्य लोग हैं.
बलवान बहुत बलवान हैं.
गौरव सभा का वर्णन है
यह आज का महाभारत है
इंदिरा दरबार की शान है.
* मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 117
1 टिप्पणी:
तत्कालीन अवसरवादी राजनीति की क्षुद़ नीतियों की बेलाग आलोचना
ने कविता को धारदार बना दिया है । अनुवाद सफल है ।
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