बुधवार, 25 जुलाई 2012

पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का पंद्रहवां दिन

24/07/2012 की सुर्खियाँ

· 'नाटक साहित्य और उसका फिल्मांकन' पर श्री सुरेंद्र वर्मा का व्याख्यान 

पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का पंद्रहवां दिन.


श्री सुरेंद्र वर्मा के व्याख्यान का सार संक्षेप 

'सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक' के प्रसिद्ध नाटककार सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि नाटक एक तरह से आइसबर्ग के समान है. ऊपर से देखने के लिए तो वह सतही लगता है लेकिन अंदर से वह गहरा है. नाटककार और फिल्म निर्देशक के बीच हमेशा अहं टकराता रहता है. कभी भी निर्देशक यह नहीं चाहता कि रिहार्सल के वक्त मूल लेखक मौजूद हो. जिस तरह से नाटककार नाटक का सृजन करते हैं ठीक उसी प्रकार फिल्म बनाना कठिन अवश्य है लेकिन नामुमकिन नहीं है. 

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