बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

बीस सूत्रों की दांडी यात्रा

तेलुगु मूल : कालोजी नारायण राव 
अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा 


बीस सूत्रों की दांडी;
इंदिरा की योजनाओं के लिए
मुख्यमंत्री कठपुतलियों के समान
कह रहे हैं - हाँ, शाबाश
हम अमल में लाएँगे.
दीन जन के उद्धार के
संकल्प के लिए
प्रधानमंत्री गांधी के घोषित
सूत्र कहाँ तक
लागू होंगे?
देखेंगे इंतजार करके
सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए
समृद्धि के सूत्र
लागू होने में
बाधक प्रतिपक्ष के
‘नियंत्रण’ में रहते ही
दीन जन का उद्धार हो गया
तो प्रसन्नता की बात है.
जयप्रकाश भी संतोषपूर्वक
रह सकते हैं डिटेंशन में
प्रतिपक्ष के शिकार होने पर भी,
भारत में हो
दीन जन का उद्धार
अच्छी बात है.

झूठ होने पर भी
प्रतिपक्ष द्वारा व्यवधान की
अपनी बात को साबित करेंगी !
दीन जन का उद्धार
कर दिखाएँ.
इंदिरा इस बार
ऐसा न कर पाईं तो
उनकी सब बातें झूठी हो जाएँगी
उनका खेल नाटक बन जाएगा
इंदिरा के भक्तों को बहुत कष्ट होगा
फिर भी उस दिन तक
भ्रम में रहने वाले सब
जाग जाएँ तो अच्छा हो.

उस दिन की इमर्जेंसी
इंदिरा को भी
सहारा नहीं दे पाई.
गद्दी से लात मारकर
जनता नीचे नहीं उतारेगी क्या !
तनिक ठहर कर देखो तो सही
होगा क्या !
सुप्रीम कोर्ट में अपील का फैसला
आएगा इस बीच
तब क्या कहेंगी इंदिरा;
देखेंगे ज़रा;
सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरह हो तो
सेंट्रल कैबिनेट में प्रवेश करेंगे
वी.पी.राजु, मर्रि, डीपी मिश्रा - सब,
भ्रष्टाचार के उपाधिधारी ही
हमारी केंद्र सरकार के
मंत्री मंडल में शामिल होने के
काबिल होंगे !

(4.7.75 : इंदिरा गांधी द्वारा इमर्जेंसी को दीन जन के उद्धार का कार्यक्रम बताने पर प्रतिक्रयास्वरूप रचित)

* मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 169

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