सागरिका
खुली डायरी के बिखरे पन्नों को सहेजने की कोशिश
शनिवार, 30 मई 2009
नौकरी
आज के ख्वाबों की कसौटी
घर - परिवार की कोंपलें फूटती
सबकी नियति उस पर ही टिकी ...
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