तेलुगु मूल : कालोजी नारायण राव
अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा
राज्यों के विभाजन के लिए
संविधान राजी है
राज्यों के विभाजन के लिए
रीति-नीति कायम है.
राज्यों के विभाजन के लिए
जनमत का समर्थन है
राज्यों के विभाजन के लिए
पूरी तैयारी है.
राज्यों के विभाजन के लिए
प्रजाशक्ति का रास्ता है
राज्यों के विभाजन के लिए
पार्लियामेंट का समर्थन है
तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु की
स्वीकृति है
तत्कालीन मुख्य मंत्रियों की
स्वीकृति है
तत्कालीन अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्षों की
स्वीकृति है
तत्कालीन निजलिंगप्पा की
स्वीकृति है
राज्यों को विभाजित करने पर
यदि कोई कहे कि
भारत की एकता भंग होगी
तो वह सरासर झूठ है
जनता को ठगते हैं
गिरोह के बलबूते पर गिद्ध;
राज्यों के विभाजन के लिए समझौता करके
‘फज़ल अली’ कमीशन लागू करने की
जिम्मेदारी को भूलकर
आज केंद्र सरकार
किलकारी मार रही है
‘अलग तेलंगाना
दक्षिण पाकिस्तान’
कह रहे हैं एक महाकवि
पाप शांत हो,
तेलंगाना विभाजन को
‘आत्महत्या सदृश’
बता रहे मुख्यमंत्री महोदय.
लंबी पगड़ी बाँधकर
प्रदेश में उग रही
विभाजन-विरोधी पार्टियाँ
(‘पार्टीव्रत’ है उनका)
इसलिए
अलग तेलंगाना का
का प्रश्न ही नहीं उठता -
कहती हैं प्रधानमंत्री ‘श्रीमती’ इंदिरा
नेहरु की लाडली
‘इंदिरा प्रियदर्शिनी’
प्रदेश में उग रही पार्टियों से
प्रधानमंत्री को
बहुत लगाव है
कितने सालों के बाद? कितने सालों के बाद?
पिता के पत्रों में पुत्री के नाम
कही गई बातें
विश्व इतिहास की झलक
भूल रही हैं समय के साथ
प्रधानमंत्री पद को शाश्वत समझ
लालची हो रही हैं
गुटबंदी की बंदिनी हो
डींगें हाँक रही हैं
एक देश एक दल
विवाद की ओर श्रद्धा से
दल को देश मान
हौवा खड़ा कर रही हैं.
प्रजातंत्र के लक्षण को
दरकिनार कर चल रही हैं
आंध्र के मुख्यमंत्री के धमकाने पर
घबराकर झुक जाती हैं
केंद्रीय मंत्री परिषद में
‘कैबिनेट रैंक’ है शान,
दो बैलों की जोड़ी के चुनाव चिह्न को
ए.पी., एम.पी. में से
किसी ने भी नहीं वोट दिया तो देख लेना -
कहते हैं ब्रह्मानंद
दल के दादा के समान
है वह मुख्यमंत्री – शर्म की बात है.
लोकतंत्र का संविधान
खंड खंड होने पर
किस सूत्र का अनुसरण करें?
किस संहिता का अनुकरण करें?
केंद्रीय मंत्री परिषद में
दो बैलों की जोड़ी के चुनाव चिह्न से
ए.पी., एम.पी. में से
कोई नहीं है तो
राज्य को न्याय नहीं मिलेगा
कर रहा है आरोप ब्रह्मानंद;
प्रजातंत्र का संविधान
किस सूत्र का अनुकरण करे?
केंद्रीय मंत्री परिषद में
शामिल होकर पूजनीय बन गए हैं
महामहिम, महनीय
समस्त भारतवर्ष की मंगलकामना न करके
सोचने के लिए मौक़ा दे रही है सरकार
कि प्रांत के आधार पर पक्षपात है.
लोकतंत्र का संविधान
भ्रष्ट है या नहीं ?
प्रादेशिक पार्टियाँ
(दो बैलों की जोड़ी के चुनाव चिह्न के अलावा)
बड़ी शान से
चला रही हैं शासन, ब्रह्मानंद !
‘शांति सुरक्षा’ कायम
न करने वालों को
प्रांतों की रक्षा न करने वालों को
न्याय पालन न करने वालों को
एक क्षण के लिए भी
गद्दी पर बैठने का हक नहीं.
अयोग्य घोषित करने वाले
अविश्वास प्रस्तावों को
गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे हो?
आंध्रप्रदेश राज्य का गठन हुए
पुष्कर बीत गया,
कल ही तो
‘विवाह निमंत्रण’ के नाम पर प्रधानमंत्री ने
तिरुमल गिरि का आरोहण कर
तेलंगाना की जनता की बातों को
फुरसत से सुनकर
ब्रहमानंद को बुलाकर
पूछताछ की
‘तेलंगाना पहले की तरह
पिछड़ी हुई दुःस्थिति में
क्यों है? क्यों है जी?’
सुनते ही जल्दी जल्दी
मुख्यमंत्री ब्रह्मानंद ने कहा
‘पता चला, अब पता चला
प्रधानमंत्री के कहने पर कि
तेलंगाना पिछड़ी हुई
दुःस्थिति में है –
अब से निश्चित रूप से
आंध्रप्रदेश राज्य विधान
तेलंगाना की अभिवृद्धि के
अनुरूप होगा.’
कितनी दूरदृष्टि, दया?
कितनी ईमानदारी, सचाई
कितना भोलापन, ममता
कितनी राजनीति, समता?
अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा
राज्यों के विभाजन के लिए
संविधान राजी है
राज्यों के विभाजन के लिए
रीति-नीति कायम है.
राज्यों के विभाजन के लिए
जनमत का समर्थन है
राज्यों के विभाजन के लिए
पूरी तैयारी है.
राज्यों के विभाजन के लिए
प्रजाशक्ति का रास्ता है
राज्यों के विभाजन के लिए
पार्लियामेंट का समर्थन है
तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु की
स्वीकृति है
तत्कालीन मुख्य मंत्रियों की
स्वीकृति है
तत्कालीन अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्षों की
स्वीकृति है
तत्कालीन निजलिंगप्पा की
स्वीकृति है
राज्यों को विभाजित करने पर
यदि कोई कहे कि
भारत की एकता भंग होगी
तो वह सरासर झूठ है
जनता को ठगते हैं
गिरोह के बलबूते पर गिद्ध;
राज्यों के विभाजन के लिए समझौता करके
‘फज़ल अली’ कमीशन लागू करने की
जिम्मेदारी को भूलकर
आज केंद्र सरकार
किलकारी मार रही है
‘अलग तेलंगाना
दक्षिण पाकिस्तान’
कह रहे हैं एक महाकवि
पाप शांत हो,
तेलंगाना विभाजन को
‘आत्महत्या सदृश’
बता रहे मुख्यमंत्री महोदय.
लंबी पगड़ी बाँधकर
प्रदेश में उग रही
विभाजन-विरोधी पार्टियाँ
(‘पार्टीव्रत’ है उनका)
इसलिए
अलग तेलंगाना का
का प्रश्न ही नहीं उठता -
कहती हैं प्रधानमंत्री ‘श्रीमती’ इंदिरा
नेहरु की लाडली
‘इंदिरा प्रियदर्शिनी’
प्रदेश में उग रही पार्टियों से
प्रधानमंत्री को
बहुत लगाव है
कितने सालों के बाद? कितने सालों के बाद?
पिता के पत्रों में पुत्री के नाम
कही गई बातें
विश्व इतिहास की झलक
भूल रही हैं समय के साथ
प्रधानमंत्री पद को शाश्वत समझ
लालची हो रही हैं
गुटबंदी की बंदिनी हो
डींगें हाँक रही हैं
एक देश एक दल
विवाद की ओर श्रद्धा से
दल को देश मान
हौवा खड़ा कर रही हैं.
प्रजातंत्र के लक्षण को
दरकिनार कर चल रही हैं
आंध्र के मुख्यमंत्री के धमकाने पर
घबराकर झुक जाती हैं
केंद्रीय मंत्री परिषद में
‘कैबिनेट रैंक’ है शान,
दो बैलों की जोड़ी के चुनाव चिह्न को
ए.पी., एम.पी. में से
किसी ने भी नहीं वोट दिया तो देख लेना -
कहते हैं ब्रह्मानंद
दल के दादा के समान
है वह मुख्यमंत्री – शर्म की बात है.
लोकतंत्र का संविधान
खंड खंड होने पर
किस सूत्र का अनुसरण करें?
किस संहिता का अनुकरण करें?
केंद्रीय मंत्री परिषद में
दो बैलों की जोड़ी के चुनाव चिह्न से
ए.पी., एम.पी. में से
कोई नहीं है तो
राज्य को न्याय नहीं मिलेगा
कर रहा है आरोप ब्रह्मानंद;
प्रजातंत्र का संविधान
किस सूत्र का अनुकरण करे?
केंद्रीय मंत्री परिषद में
शामिल होकर पूजनीय बन गए हैं
महामहिम, महनीय
समस्त भारतवर्ष की मंगलकामना न करके
सोचने के लिए मौक़ा दे रही है सरकार
कि प्रांत के आधार पर पक्षपात है.
लोकतंत्र का संविधान
भ्रष्ट है या नहीं ?
प्रादेशिक पार्टियाँ
(दो बैलों की जोड़ी के चुनाव चिह्न के अलावा)
बड़ी शान से
चला रही हैं शासन, ब्रह्मानंद !
‘शांति सुरक्षा’ कायम
न करने वालों को
प्रांतों की रक्षा न करने वालों को
न्याय पालन न करने वालों को
एक क्षण के लिए भी
गद्दी पर बैठने का हक नहीं.
अयोग्य घोषित करने वाले
अविश्वास प्रस्तावों को
गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे हो?
आंध्रप्रदेश राज्य का गठन हुए
पुष्कर बीत गया,
कल ही तो
‘विवाह निमंत्रण’ के नाम पर प्रधानमंत्री ने
तिरुमल गिरि का आरोहण कर
तेलंगाना की जनता की बातों को
फुरसत से सुनकर
ब्रहमानंद को बुलाकर
पूछताछ की
‘तेलंगाना पहले की तरह
पिछड़ी हुई दुःस्थिति में
क्यों है? क्यों है जी?’
सुनते ही जल्दी जल्दी
मुख्यमंत्री ब्रह्मानंद ने कहा
‘पता चला, अब पता चला
प्रधानमंत्री के कहने पर कि
तेलंगाना पिछड़ी हुई
दुःस्थिति में है –
अब से निश्चित रूप से
आंध्रप्रदेश राज्य विधान
तेलंगाना की अभिवृद्धि के
अनुरूप होगा.’
कितनी दूरदृष्टि, दया?
कितनी ईमानदारी, सचाई
कितना भोलापन, ममता
कितनी राजनीति, समता?
* मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 117